प्रार्थना की शक्ति/Power of Prayer
Prayer is a help that is always available to you in difficult times- Dr Joseph Murphy power of prayer, how to pray, whom to pray, when it fulfills our desire
SPIRITUALITY
umesh ch oberoi
4/10/2025
हम सब उन करोड़ों लोगों में से एक है जो ईश्वर तक अपनी बात पहुँचानें के लिए प्रार्थना की सहायता लेते हैं। सभी धर्म, महजब, पूजा घरों या उपासना स्थलों में एक ही बात की समानता है, और वह है प्रार्थना की।
धर्मों में उपासना की सैकड़ों या हजारों विधियॉ प्रचलित हैं। लोग उन्हें अपनी ज्ञान व सुविधानुसार करते भी है। प्राचीन काल से लाखों ऋषि, मुनि, तपस्वी, सिद्ध, बाबा, गुरू और अवतार हुए जिन्होनें अपने-अपने धर्मों, समप्रदायों और विचारों का प्रचार किया और अपने अनुयाईयों को ईश्वर की पूजा व स्तुती कैसे की जानी चाहिए यह बताया।
इसी कड़ी में एक और विचार योग्य बिन्दू यह है कि दुनिया और समाज से दूर घनघोर जंगलों में रहने वाले आदिवासी भी प्रार्थना करना जानते थे और उन्हें इसकी शक्ति पर विश्वास था।
What is a Prayer?
फिर से कई सवाल!
Is this a request? क्या यह एक अनुरोध हैं? - तो जवाब है हॉ। यह ऐसी अनुरोध है जिसमें प्रेम, अपनापन, गहरी आस्था, समर्पण और मन की भावना होनी चाहिए।
Is this the voice of conscience? क्या यह हमारी अन्तरआत्मा की आवाज हैं? - वास्तव में एक सच्ची प्रार्थना हमारे अन्तरमन की बगैर शब्दों की एक कहानी या कविता होती है।
How to Pray?
जीवन भर बिना रूके प्रार्थना करनी चाहिए। यदि आपकी बात सुन ली गई हो या नहीं, अनवरत इसे करते रहें। नियत समय व स्थान पर लगातार की गई प्रार्थना हमारे अन्दर आस्था, आशा, अनुशासन, साहस, शुद्धता और स्वस्थता पैदा करती है।
अपने तन,मन और ध्यान को सच्चाई, सदगुण, अच्छाईयों और दैवीय आभा पर लगायें या उनके बारे में मनन करें।
What are the marks of successful Prayer?
जब दिल की ईच्छा पूरी होती है।
जब मन में ईश्वर का प्रेम और उनकी शान्ति की नदी बहने लगे।
Why we Pray?
यह जीवन में सफलता दिला सकती है।
आप दूसरों के लिए ज्यादा मददगार बन सकते है।
जब हम सब शरीर से बीमार, दुखदायी जीवन या माहौल से परेशान, मन में भय और शांति की कमी हो।
जब मन समस्याओं के कारण किसी काम में नहीं लगता या भटकता है।
Prayer's Rule
हमारे मन में या यूँ कहे अवचेतन मन में किये गये प्रार्थना के लिए गहरी आस्था या विश्वास हो।
हम सब ईश्वर को बगैर देखे ही उनपर विश्वास करते है क्योंकि बचपन की वह अवस्था जब हमें सांसारिक ज्ञान भी न था तबसे ही ईश्वर से हमारा परिचय कराया गया। इसके उपरांत वें हमारे दैनिक जीवन के अंग बन गयें।
...... अभी और लिखी जा रही हैं.....