कर्मण्येवाधिकारस्ते
SPIRITUALITY
क्या कर्म करना सेवा है? व्याख्या के अनुसार सेवा करने वाला सेवक कहलाता है. फिर सेवक किस प्रकार से कर्म कर सेवा करता है? एक सेवक अपने कर्म या सेवा के बदले कुछ पाने की इच्छा से सेवा करता है. जैसे कि नौकरी या व्यवसाय के रूप में जहाँ बदले में धन मिलता है. कहीं-कही सेवा (कर्म) के बदले में सेवा ही की जाती है. परिवार में सभी सदस्य एक दूसरे की सहायता, सेवा करके करते हैं.
इसी तरह सेवा का एक अन्य रूप यह भी है जिसमें तात्कालिक रूप से कोई लाभ नहीं मिलता है परन्तु इस सेवा का भी निश्चित उद्देश्य होता है. अतः सभी प्रकार की सेवा में कोई न कोई स्वार्थ सामने आता ही है जिसे इस प्रकार से समझा जा सकता है:
सेवा कौन करता है? Who Serves?
सरकार, संस्था या लोगों की नौकरी भी सेवा ही है जिसके एवज़ में वेतन प्राप्त करते हैं.
व्यवसाय या बिजनेस में किसी वस्तु को व्यावसायी दूर से लाकर आपको उपलब्ध कराता है और बदले में धन प्राप्त करता है. इसी तरह से बिना नौकरी के भी सेवा की जाती है. जैसे कि रिक्शेवाला आपको कहीं पहुंचाकर, नाई बाल काटकर, मोबाईल कंपनिया संबंधित संचार व्यवस्था कायम रखने में मदद कर बदले धन प्राप्त करते हैं.
गुरु से ज्ञान या मोक्ष पाने की कामना से सेवा करना.
संतों की सेवा कर ईश्वर की कृपा या स्वर्ग पाने की कामना से सेवा करना
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में राजनैतिक नेताओं या लीडर के बताये राह पर चलकर या उनकी आज्ञानुसार काम कर कोई पद, शासन में हिस्सेदारी या अन्य धन प्राप्त करने के साधन में सहयोग प्राप्त करने की कामना से की गई सेवा.
गुरुद्वारा, मंदिर या किसी भी धार्मिक संस्थानों में की गई सेवा. सेवा करने वाले की भावना होती है कि मैं ईश्वर की ही सेवा कर रहा हूँ जिससे वें प्रसन्न होकर मेरे ऊपर कृपा कर दें.
माता-पिता द्वारा बच्चों का पालन सेवा ही है जिसे कर्तव्य के रूप में प्रेम से किया जाता है. इसी तरह से बच्चों द्वारा भी माता-पिता की देखभाल का काम सेवा ही हैं जो कि कर्तव्य भी है.
डॉक्टर व नर्सों द्वारा मरीज़ों की सेवा तथा सैनिकों द्वारा प्राण न्यौछावर कर देश की रक्षा करना उच्चकोटि की सेवा की श्रेणी में आता है.
यदि पेड़ पौधों की देखभाल व सेवा की जाये तो ये हमको कई प्रकार से सेवा करती है जिससे कि धरती पर सभी जीवों को भोजन और प्राणवायु मिलती है.
पशु पक्षी भी हमारी सेवा कई रुपों में करते हैं. धरती की लगभग आधी आबादी उनके मांस पर जीवन यापन करते हैं. एक शिशु के प्राण गाय के दूध से ही बचते देखा गया है.
शुरू कैसे करें? How to start?
निःस्वार्थ भाव से सेवा करने के लिए बहुत धन या काम करने की आवश्यकता है भी और नहीं भी. अधिक इसलिए कि देश की जनसंख्या बहुत अधिक है और इसी अनुपात में पीड़ित या बेआसरे लोग भी ज्यादा ही है. लगभग 90 प्रतिशत जनता किसी न किसी प्रकार की कमियों का सामना कर रहे हैं.यहां सबका वर्णन करना असंभव है.
जो लोग सेवा करना चाह्ते हैं वें अपना मन बनाकर इस क्षेत्र में कदम रखें. दूसरों को न देखकर अपनी क्षमता के अनुसार ही सेवा कार्य में जुटा जा सकता है. इस तरह से अनेक लोग लगे तो बहुत कुछ सुधार सकता है.
आवश्यक तत्व. Essential Elements
किसी भी तरह की सेवा करने के लिए कम से कम निम्न चीज़ों का होना आवश्यक है:-
अ) धन- यह सत्य है कि बेआसरों या पीड़ितों को सबसे ज्यादा धन की जरूरत होती हैं. उनका कार्य धन की कमी के कारण रुका रहता है या नहीं हो पाता है. यदि आपके पास जीवन यापन के पश्चात् कुछ धन की बचत होती है तो आप दूसरों की सहायता में लगा सकते हैं. यहां धन कितना लगाया गया यह महत्वपूर्ण नहीं है.
मैं अपने कार्यस्थल के अनुभव के आधार पर उदाहरण देना चाहूँगा कि कई गरीब बच्चें अपनी पढ़ाई को धन की कमी के कारण जारी नहीं रख पाते या उन्हें फीस भरने में बहुत कठिनाई होती है. ऐसे बच्चों को आप फीस भरने में मदद कर सकते है. पहले अपने से सेवा कार्य शुरू करें फिर अनुभवों के अनुसार दूसरों को सहायता देने के लिए प्रोत्साहित करें.
शैक्षिक संस्थानों में जायें और अपने प्रिय जनों के नाम से जरूरतमंदों को (एक ही सही) सालाना फीस भरने की जिम्मेदारी लें. सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के बच्चें बहुत ही कठिन परिस्थितियों में शिक्षा ग्रहण करते हैं; उनकों जरूरत की चीज़ें उपलब्ध करा सकते हैं. इसी प्रकार निम्न क्षेत्रों में भी धन से सहायता कर सेवा किया जा सकता है:-
- अस्पताल में दवाई और डाक्टर की फीस उपलब्ध कराके.
- स्कूलों या अस्पतालों में पीने का पानी की व्यवस्था कर.
- मंदिर की रख रखाव में मदद कर.
- पर्यावरण की रक्षा के लिए वृक्षारोपण में सहयोग कर.
- वर्षा, ओला या सूखा पीड़ित किसानों की धन से सेवा कर. हो सकता हो उन्हें भोजन, दवाई या बच्चों के लिए फीस की जरूरत हो.
ब) तन-मन से - यदि आप धन द्वारा सहायता नहीं कर सकते हो तो सीधे जरुरतमंद से मिल कर उनके किसी भी कार्य को संपन्न करने में मदद कर सकते हैं. उदाहरण के लिए-
- एक शिक्षक गरीब बच्चों को पढ़ा कर उन्हें आगे बढ़ने में मदद कर सकता है.
- पुलिस या सैनिक सेवा से रिटायर्ड होकर अपने आस-पास के नौजवानों को या शहर के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में जाकर भर्ती के लिए आवश्यक जानकारी व सेवा (training) उपलब्ध कराकर समाज की बड़ी सेवा कर सकता है.
- डाक्टर या स्वास्थ्य सेवाओं से निवृत या कार्यरत व्यक्ति अपने घर या किसी सार्वजनिक स्थलों में साप्ताहिक कैम्प लगाकर मरीजों की सेवा कर सकता है. इसके अतिरिक्त अस्पतालों में जाकर किसी भी तरह की सेवा कार्य किया जा सकता है.
- यदि आप रिटायर्ड है तो अनिवार्य रूप से कुछ समय निकालकर अपने इलाकों की सफाई, सुरक्षा व पेयजल की उपलब्धता पर सुधारात्मक कार्य कर सकते हैं. या जागरूकता भी फैला सकते हैं कि अपने मुहल्लों को साफ सुथरा रखने में और अमूल्य पेयजल की बर्बादी रोकने में आवश्यक बैठक कर परिवार जनों को सलाह देने का कार्य कर सकते हैं.
- घर के आसपास या आपके क्षेत्र में आवारा पशुओं के बारे में नगरपालिका को सूचित कर उनके रहने की व्यवस्था करवा सकते हैं. आजकल गायों की स्थिति बड़ी ही दयनीय है. दूध दुहकर उन्हें छुट्टा छोड़ दिया जाता है और ये बेचारी भूखी व बीमार होकर सड़कों में घूमती रहती हैं. इनके पालक को इनके देखरेख करने की कर्तव्य से अवगत कराया जा सकता है.
- स्वास्थ्य और सुखी जीवन के लिए पर्यावरण की देखभाल भी जरूरी है. इस कार्य में टीम बनाकर अपने क्षेत्रों में वृक्षारोपण कर उनकी देखभाल का कार्य भी किया जा सकता है.
स) समय - सेवा कार्य के लिए समय की बहुत ही जरूरत है. अपने दैनिक जीवन से कुछ समय निकालना पड़ेगा. बिना समय की उपलब्धता के कुछ भी नहीं हो पायेगा. आपने देखा व पढ़ा होगा कि सामाजिक कार्यकर्ता सेवा कार्य के लिए सदैव उपलब्ध रहते हैं. अपने क्षेत्र के सभासद, विधायक और अन्य नेतागण अपने सेवा कार्य से ही वोट पाते हैं.
सुभाषचंद्र बोस, गांधीजी, भगत सिंह और नेहरू जी ने सारा जीवन ही सेवा कार्य में लगाकर अपना बलिदान दिया है. हम उतना नहीं तो एक प्रतिशत तो कर ही सकते हैं.
द) ईच्छा - यही वह चीज है जिसके द्वारा किसी भी कार्य को करने के लिए प्रोत्साहन मिलता है. प्रोत्साहन से साहस पैदा होता है और साहस से सभी प्रकार की बाधाओं को दूर किया जा सकता है.
अभी और लिखना है.....