Causes and Solutions of Poverty

DESH APNA

umesh ch oberoi

6/27/2021

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भारत में गरीबी के प्रमुख कारण | Causes of Poverty in India

      निर्धनता के कारण लोग अपने आश्रितों के लिए आवश्यक न्यूनतम आवश्यकताओ को पूरा नहीं कर पाता है और आर्थिक तंगी में लोग गुजर-बसर करते हैं. समाज के हर वर्ग के लिए आर्थिक तंगी का पैमाना अलग-अलग होता है. जैसे जैसे महंगाई बढ़ती जाती है उसी अनुपात में आय में बढ़ोत्तरी नहीं हो पाने के कारण भी गरीबी घेर लेती हैं. सबकी अपनी जरूरतों का पूरा करने में आवश्यक न्यूनतम धन ही एक अच्छा पैमाना या मीटर हो सकता है.

      अनेक लोगों से बात करने पर पता चलता है कि लोगों को हर माह कम से कम इतने (न्यूनतम) रुपये तक की आमदनी हो तो आने वाले समय में उनकी कई समस्याओं का समाधान हो जायेगा और खुशहाल जिंदगी गुजर बसर करने में मदद मिलेगी. इस प्रकार से आवश्यक दैनिक या मासिक आय या आमदनी को रेखा द्वारा प्रकट करें तो यह दो प्रकार की होगी -

a) Below Minimum Income Line(BMIL)

b) Above Minimum Income Line(AMIL)

     अब जानते हैं कि किस कारण से लोग इस न्यूनतम आमदनी को प्राप्त नहीं कर पाते या उससे नीचे रह जाते हैं.

Factors of Below Minimum Income Line (BMIL)

  • आवश्यक आमदनी (AMIL) से कम आमदनी का होना

अपने देश में लोग जीवन यापन के लिए निम्नलिखित 5 प्रकार की आजीविका अपनाते हैं:-

  1. सरकारी नौकरी.

  2. गैर सरकारी या प्राइवेट नौकरी.

  3. व्यवसाय (sales व manufacturing).

  4. कृषि या कृषि आधारित व्यावसाय.

  5. गैर कृषि या उसपर आधारित व्यवसाय.

कम आमदनी क्यों होता है?

1- सरकारी क्षेत्र में नौकरी | Govt. Jobs

     सरकार द्वारा परिवार के सभी योग्य सदस्यों को नौकरी के कम अवसर उपलब्ध कराना भी एक कारक है (upcoming govt. jobs) ज्यादातर लोगों को नौकरी मिले इसके लिए सरकार को देश की आंतरिक ढांचा को विकसित करने के प्रयास को बढ़ना चाहिए.

     जैसे कि पुलिस-थाना, दूर-दराज व ग्रामीण अंचलों में सड़क और rail मार्ग, नदियों में पुल, एक निश्चित दूरी पर अस्पताल, कृषि विकास केंद्र, कृषि व गैर कृषि उपज खरीद केन्द्र, कृषि विकास प्रशिक्षण केन्द्र व ग्रामीण दस्तकारी प्रशिक्षण केन्द्र, स्कूल व महाविद्यालय, बिजली की समुचित पहुँच सभी क्षेत्रों में हो. जितनी अधिक संख्या में ऐसे संस्थान खुलेंगे उतनी ही नियुक्ति करनी पड़ेगी अर्थात्‌ बेरोजगारों को नौकरी.

     यदि ऐसा हो तो लोगों में विकास के फलस्वरुप आय के स्रोत बढ़ने शुरू हो जाएंगे जिसके कारण धन का प्रवाह सभी ओर होगी तथा आमदनी भी बढ़ेगी.

2- Private Job | निजी क्षेत्र में नौकरी

     आय कम होने का सबसे बड़ा कारण निजी संस्थाओं द्वारा योग्यता से कम भुगतान करना. चूकि ऐसे क्षेत्रों में नियोक्ता का मूल उद्देश्य व्यापार या उद्योग से प्राप्त लाभांश को अधिक से अधिक अपने पास रखना होता है. अतः कर्मचारियों को कम वेतन पर नौकरी करने की मजबूरी होती है.

     इसके अतिरिक्त दूसरा कारण यह भी है कि बाजार में कम मजदूरी (वेतन) पर नौकरी करने के लिए अनेक बेरोजगार उत्सुक या उपलब्ध होते हैं.

     यह क्षेत्र असंगठित कर्मचारियों का है और इन्हें सरकार द्वारा भी उचित कानूनी संरक्षण प्राप्त नहीं है. नियोक्ता मनमाने तरीके से वेतन और अन्य मुद्दे तय कर उतनी वेतन पर कर्मचारियों को नौकरी पर रखते हैं.

     लगभग 99 प्रतिशत लोंगो को भविष्यनिधि भत्ते की सुविधा भी उपलब्ध नहीं होतीं हैं तथा नौकरी चले जाने की स्थिति में नियोक्ता की कोई कानूनी जवाबदेही भी निर्धारित नहीं होती है. परिणाम स्वरूप लोग जीवन भर असुरक्षित नौकरी और कम वेतन पर गुजारा करते हैं.

     सेवा, निर्माण और क्रय-विक्रय के क्षेत्रों में नौकरी करने वाले कर्मचारी प्राइवेट जॉब या नौकरी करते हैं. ये कर्मचारी कुशल व अकुशल दोनों प्रकार के होते हैं. कुशल की अपेक्षा अकुशल कर्मचारियों की वेतन या आय बहुत ही कम होता है.

     क्या ही अच्छा हो कि विद्यालय स्तर से ही इन्हें कुशल बनाने का प्रयास सरकार द्वारा होता. यद्यपि कौशल विकास मंत्रालय इस पर काम कर रहा है परन्तु वास्तविक कुशलता से इसका कुछ लेना-देना नहीं है.

     सरकार ने कुशलता निखारने का जिम्मा प्राइवेट संस्थानों को दे रखा है. जिस तरह से ये संस्थाएं कुकुरमुत्ते की तरह उग आयी है उनकी मंशा धन कमाने भर का ही हैं.

     ऐसे में सरकार को स्वयं आगे बढ़कर "कौशल विकास विद्यालय" बनानी चाहिए और इनमे वास्तविक व रोजगारपरक प्रशिक्षण निशुल्क प्रदान करनी चाहिए. एक कुशल व सुखी कर्मचारी ही देश का निर्माण कुशलता से कर सकता है.

3- व्यापार एवं उद्योग कर्मी

     दरअसल कोई भी व्यापार; सेवा-प्रदाता या निर्माण उद्योग पर निर्भर करती है. अतः इस कड़ी में उद्योगपति (जो निर्माण के क्षेत्र में हैं), दूसरे प्रकार के व्यापारी निर्मित सामानों को खरीदकर लोगों तक पहुंचाते हैं और तीसरे प्रकार के व्यापारी जो विशेष सेवा प्रदान करते हैं.

     यह भी मुख्यतः 3 category के होते जैसे निम्न, मध्यम व उच्च. कोई भी व्यापार बगैर पैसों के सम्भव नहीं है. निम्न और मध्यम स्तर के व्यापारी को अपना धंधा शुरू करने के लिए पूँजी शत प्रतिशत स्वयं ही जुटाना पड़ता है. यह एक सत्य तथ्य है कि बैंकों द्वारा loan केवल धनपति व्यापारी या पहुँच वालों को ही मिल पाती हैं.

     देश में जिन्हें नौकरी नहीं मिलती वे छोटा मोटा व्यापार कर अपनी और परिवार का भरण-पोषण करते हैं. ऐसे लोगों की business धन के अभाव में या तो समाप्त हो जाती हैं या सारी जिंदगी छोटे स्तर के व्यापारी बनकर रह जाते हैं. बेरोजगारी का यह आलम है कि अब घर घर में दुकानें खुल गई है.

     सरकार को ऐसे व्यापारी को उचित दर पर ऋण उपलब्ध कराना चाहिए. व्यापार के अवसर बढ़ाने के लिए कार्यगत ढांचा विकसित करना, व्यापार के विकास में आने वाले बाधाओं को दूर करने का प्रयास कर उन्हें उत्साहित करने के तरीकों का विकास करना चाहिए.

     व्यापार के अलावा निर्माण के क्षेत्र में भी बहुत से लोग जुड़े हैं जिनमें मालिक, साझेदार और कर्मचारी आते हैं. आज का समय start-up का समय है. नये-नये क्षेत्रों में नवीन उद्योग स्थापित करने के लिए नये व उत्साही लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए. इन्हें कम दर पर ऋण तथा अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की जरूरत है.

4-Agricultural and related services

     हमारे देश में किसानों को अन्नदाता कहा जाता है. जैसा कि उल्लेख किया गया है कि 65 प्रतिशत जनता गावों में निवास करती हैं और इनमें से भी अधिकतर लोग किसान है या कृषि आधारित सेवा या व्यवसाय में लगे हुए हैं. आजादी के इतने वर्षों बाद भी किसानों की आमदनी कम और समस्याएं ज्यादा हैं.

आज की तारीख में किसानों की मुख्य समस्या निम्नानुसार हैं:-

  • कृषि उपज की समुचित मूल्य न मिलना.

  • उनके उपज के लिए क्रय केंद्रों का दूर होना.

  • उपज क्रय केंद्र में सरकारी दर पर बिक जाये ऐसी कोई गारण्टी नहीं है.

  • खाद और सिंचाई के लिए पानी की कमी.

  • प्राकृतिक आपदा से फसल नष्ट होने पर उचित मुआवजा न मिलना.

  • कृषि के नये तरीकों व उपकरणों के प्रयोग का प्रशिक्षण.

  • बीजों और कृषि उपकरणों के लिए आसान दर पर ऋण.

     सरकार उपरोक्त समस्याओं का निराकरण कर आवश्यक सुविधाएं किसानों को मुहैया कराती हैं तो किसानों के घर में भी समृद्धि आ सकती हैं जिसका लाभ समाज के हर वर्ग के लोगों को मिलेगा.

5-Non-Agricultural services in Rural India

     गावों में बहुत से ग्रामीण किसानी (non farming activities) नहीं करते हैं. ऐसे लोग अपनी पुश्तैनी व्यवसाय में दक्ष होते हैं और पीढ़ियों से उसे करते आये हैं. जैसे dairy उद्योग, मत्स्य पालन, बकरी और मुर्गी पालन, ग्रामीण दस्तकारी, हाथकरघा, कुशल व अकुशल मजदूर इत्यादि.

     इन सबकी माली हालत सुधारने के लिए उन्हें आधुनिक उपकरण व तकनीक का प्रयोग करने का निशुल्क प्रशिक्षण (free training) उपलब्ध कराया जाए. जो प्रशिक्षण सरकार द्वारा प्रदान किया जा रहा है वह आम लोगों की पहुँच से बाहर हैं. इसे सरल और सुगम बनाया जाये. प्रशिक्षण के उपरान्त निम्न दरों पर ऋण उपलब्ध कराकर इनकी उत्पाद को बाजार मुहैया कराया जाए तो धीरे-धीरे हालात अच्छे होंगे और आय भी बढ़ेगी.

आय बढ़ाने या ग़रीबी दूर करने के प्रमुख उपाय | Major measures to increase income or eradicate Poverty

A- अपना मकान हो | Have your own home

     सांख्यिकी विभाग के अनुसार देश में 65 प्रतिशत लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं तो इसके अनुसार शहरी क्षेत्रों में 35 प्रतिशत लोग रहते हैं. और इन 35 प्रतिशत में से लगभग 90 प्रतिशत लोगों के पास अपना निवास या मकान नहीं है. ऐसे लोग शहर में रहने के लिए किराये के मकान में रहते हैं और इनकी आमदनी का बहुत बड़ा हिस्सा किराया चुकाने में चला जाता है.

     इस कारण आजीवन गरीबी बनी रहती हैं. यदि सबको रहने के लिए अपना मकान होगा (home for all) तो किराया देने में लगे धन का प्रयोग लोग अपने बच्चों को शिक्षा ग्रहण कराने में खर्च करेंगे जिससे कि गरीबी दूर करने में सरकार के प्रयास को बल ही मिलेगा. अर्थात्‌ अपना मकान का न होना भी गरीबी का बड़े कारकों में से एक हैं. ऐसे में सुझाव यह है कि बड़े पैमाने पर housing projects बनाया जाये जिसके द्वारा बेघरों को घर मिल सके.

B- सबको अनिवार्य शिक्षा | Compulsory Education for all

     सरकार द्वारा सबके लिए शिक्षा अभियान व नारा तो हैं परन्तु सबके लिए इन शिक्षण संस्थानों में सीट नहीं है. आवश्यक और उच्च शिक्षा प्राप्त करने में धन की कमी भी गरीबी का एक कारक है. यदि सरकार सभी बच्चों को बेसिक व उच्च शिक्षा दे पाती तो लोग शिक्षित होकर अपने देश और आजीविका के लिए स्वयं कई तरह के प्रयत्न करते परंतु ऐसा नहीं है.

     ग्रामीण क्षेत्रों की कौन कहे, शहरी क्षेत्रों की primary स्कूलों का हाल बदहाल है. इन क्षेत्रों के primary स्कूलों में न तो समुचित भवन हैं और न ही शिक्षक.

     उदाहरण के लिए शहर के किसी क्षेत्र के सभी अभिभावक यदि अपने बच्चों को वहां के प्राथमिक विद्यालय में दाखिला दिलाना चाहें तो क्या कोई विद्यालय हजारों बच्चों को quality education, बैठने की व्यवस्था और हर विषय के शिक्षक सरकार उपलब्ध करा पायेगी?

     ज्यादा से ज्यादा सरकारी शिक्षण संस्थानों के खुलने से शिक्षितों को नौकरी और गरीबों को सस्ती दरों पर शिक्षा प्राप्त होती पर ऐसा नहीं है इसके उलट, प्राइवेट विद्यालय या महाविद्यालयों में अपनी सारी जमा पूँजी खर्च करके गरीबी की ओर अग्रसर होते हैं या धन के अभाव में शिक्षा प्राप्त ही नहीं कर पाते.

C- स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार| Expansion of Health Services

     यद्यपि सरकार द्वारा पहले से ही स्वास्थ्य सेवाएं देश में उपलब्ध हैं. परन्तु यह देश की विशाल जनसंख्या के अनुपात में ऊट के मुहँ में जीरा के समान है. यदि अस्पताल हैं तो डाक्टर नहीं. ऐसी स्थिति में देश कैसे स्वस्थ होगा?

     अभी हाल में ही corona-2 की लहर में देश की मेडिकल सुविधा कितनी नाकाफी है वह सबके सामने आ गया है. अब सरकार को चहिये कि देश के शहरी क्षेत्रों के अलावा ग्रामीण व दूरदराज के क्षेत्रों में भी प्राथमिक एवं अच्छे अस्पताल खोले. यदि अपने क्षेत्र में ही स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो तो इलाज के लिए बड़े शहरों में लोग मरीज़ को लेकर नहीं भागेंगे.

D- सबके लिए बीमा | Insurance for All

     एक गरीब व बदहाल देश से खुशहाल देश में बदलने के लिए सभी लोगों के पास बीमा सुरक्षा होना जरूरी है. यह बीमा, जीवन और health से संबंधित होनी चाहिए. सरकार को वर्तमान में उपलब्ध बीमा सुविधा की अपेक्षा और सस्ती बीमा प्रीमियम दर पर "सबको बीमा की छतरी" सभी को अनिवार्य रूप से उपलब्ध करानी चाहिए. जनजागरण अभियान चलाकर "सबको आधर कार्ड" की तरह सभी को बीमित करने का प्रयास किया जाये. बीमा होने से गरीबो को उनके कमाऊ सदस्यों के न रहने पर कुछ धन फौरी तौर राहतकारी सिद्ध हो सकती हैं.

E- जनसंख्या नियंत्रण Population control

    देश में जितनी संसाधन एवं अच्छी जीविका के साधन है उससे कहीं अधिक लोग हैं. कोई एक नौकरी की vacancy निकालती हैं तो लाखों लोगों द्वारा उसे भरा जाता है. नौकरी पाने या business करने में भारी competition हैं. सफलता की दर क्या होगी किसी को पता नहीं.

     कोई जीवन भर अच्छी रैंकिंग लाकर नौकरी पाने में नाकाम हो सकता है तो कोई साधारण शिक्षा से ही बाजार में अपनी जगह बना लेता है.

     आज की परिस्थितियों की बात करें तो सरकारी नौकरी बहुत ही कम निकलती हैं. प्राइवेट नौकरी में भी प्रतियोगिता वह भाई भतीजावाद हैं. जिनके पास पूँजी या जगह है वह दुकान खोलकर व्यापार कर रहा है.

     मेरे अनुभव में 30 वर्ष पहले कालोनी या मोहल्ला में कोई एक दुकान बड़ी मुश्किल से होती थी. परन्तु अब लोगों के बढ़ने और बेरोज़गारी के कारण इन दुकानों की भरमार हो गई हैं. यदि जनसंख्या वृद्धि दर (population growth rate) इसी प्रकार रही तो अगले 30 साल बाद हमारी सन्तान अपनी आजीविका कैसे कर पाएँगी?

     जनता और सरकार को इस बात पर ध्यान देनी चाहिए. सरकार जनसंख्या नियंत्रण पर साथ देने वाले लोगों को ही नौकरी या ration जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराकर इसे प्रोत्साहित कर सकती हैं.

F- एक परिवार एक नौकरी/आजीविका गारण्टी | One Family One Job/Livelihood Guarantee

     प्रत्येक परिवार को एक नौकरी सुनिश्चित की जाए. राशन कार्ड की तरह परिवार रजिस्टर बनाकर किन्ही दो सदस्यों का नाम नौकरी के लिए आवेदित या प्रतीक्षारत माना जाये. अभियान चलाकर जैसी योग्यता वैसी नौकरी दी जाये (टेस्ट के बाद)सर्वे में यह बात खुलकर आयी कि लोग कम वेतन पर भी सरकारी नौकरी join कर लेंगे क्योंकि इस नौकरी में स्थायित्व और सुरक्षा तो रहेगी.

     यदि मनरेगा (MNREGA) ग्रामीण रोजगार के लिए सफल हो सकता है तो इसी के समकक्ष नई योजना लाकर उपरोक्त कार्य को सफल बनाया जा सकता है. जो नौकरी के लिए अयोग्य हो या वह नौकरी न करना चाहता हो उसे किसी और आजीविका के लिए लोन इत्यादि देकर प्रोत्साहित किया जाए.यह सत्य है कि अपना रोजगार में ही आत्मसम्मान और तरक्की हैं. ऐसे लोग अपने साथ ही दूसरे बेरोजगार को भी नौकरी देते हैं.

अंत में आप सभी से उपरोक्त बिन्दुओं पर गंभीरता पूर्वक विचार के लिए प्रार्थना करता हूँ तथा सबसे अच्छे मुद्दे पर आपका विचार ucoberoi@gmail.com पर आमंत्रित करता हूँ।