9 Things to Practice for drop the Ego

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SPIRITUALITY

umesh ch oberoi

5/24/2021

What is Ahamkara?

     सबसे पहले जाने कि यह अहंकार क्या होता है? यह संस्कृत के 'अहम्' और 'कार' से बना है. इसका अर्थ है 'मैं' या 'स्वयं' और 'कार' का अर्थ है 'निर्माण' करने वाला. कुल मिलाकर 'मेरे द्वारा किया गया '.

     अहंकार को दूर करने के लिए[How to get rid of ego] कई प्रकार के उपदेश और बातें बहुत से ज्ञानियों द्वारा समय-समय पर की जाती रही हैं; परन्तु मैं आपको भगवत गीता में श्री कृष्ण जी द्वारा कही गई बातों का ही सन्दर्भ लेकर समाधान की कोशिश कर रहा हूँ.

     केवल अहंकार या घमण्ड सीधे दूर नहीं की जा सकती हैं. इसके भाई और बन्धुओं से परिचित होकर उनपर पर भी विजय पाना ज़रूरी है. इस काम के लिए बड़ा ही प्रयत्न करना पड़ता है. बहुत कुछ छूट जाता है. स्वजन और प्रियजन के क्रोध का सामना करना पड़ सकता है.

     परन्तु विचार अडिग हो तो यह बड़ा ही आसान हो जाता है, केवल एक-एक कर नीचे लिखे बिन्दुओं पर practice करते जाएं सफलता जरूर मिलेंगी.

9 Things to Practice for drop the Ego.

  1. दम्भ: झूठी शान दिखाने वाला. अपनी बड़ाई, मान के लिए काम करने वाले, अपने को धर्मात्मा, ज्ञानी, दानी सिद्ध करने के लिए उपाय करने वाला.

  2. घमण्ड: अपनी शिक्षा को दूसरों से ज्यादा अर्थात अपने को ज्यादा पढ़ा-लिखा या ज्ञानी समझना, धनिक होने का गर्व होने पर सभी कार्य को धन के बल पर करा लेने का एहसास, अपने धर्म और जाति को दूसरों से ऊँचा समझना.

  3. अभिमान: सभी से अपने को श्रेष्ठ या बड़ा समझना, अपनी मान और प्रतिष्ठा के लिए लालायित रहना तथा प्राप्त होने पर खुश रहना.

  4. क्रोध: अपमान या तिरस्कार किये जाने से, मनचाही काम न होने पर, दुर्वचन सुनकर या अन्याय के फलस्वरूप मन में जो द्वेषपूर्ण उत्तेजना होती है उससे क्रोध उत्पन्न होती हैं और विवेक एवं बुद्धि का नाश हो जाता है.

  5. कठोरता: किसी को कड़वा वचन कहना, गाली देना, ताना मारना, क्षमा न करने की नीति, दया के स्थान पर हिंसा की क्रिया.

  6. अज्ञान: सच-झूठ, धर्म-अधर्म में भेद न कर पाने की स्थिति या यह समझ लेना कि मैं जो कर रहा हूं वही सही है.

  7. धन का मद: अपनी धन-सम्पत्ति पर इतराना और यह सोचना कि मेरा ये काम हो गया, अब दूसरे पर हाथ डालता हूँ और इसे हासिल करके रहूँगा.

  8. शक्तिशाली समझना: धन,शक्ति या युक्ति के बल पर अपने प्रतिद्वंदी को हराकर या उसे दुनियां से उठाकर और मद में चूर होकर अपनी बड़ाई करते फिरना कि देखो ये तो गये! अब फलाने का नम्बर हैं! मैं सबसे ताकतवर हूँ, सारी पावर मेरे पास है. अब तो मजे ही मजे हैं.

  9. मै बड़ा पैसे वाले परिवार से हूँ: परिवार में सब एक से एक बढ़कर पैसे और पहुँच वाले हैं. कोई मेरे से बराबरी नहीं कर सकता है. मैं पूजा-पाठ, यज्ञ-दान सब करता हूँ. पावर वाले लोगों को पार्टी देता हूँ.


प्रकृते: क्रियमाणानि गुणै: कर्माणि सर्वशः| अहङ्कारविमूढात्मा कर्ताहमिति मन्यते ||

-(03-27)

     हम अहंकार के प्रभाव में आकर अपने आपको समस्त कर्मों का कर्ता मान बैठते है, अर्थात यह समझते है की मैं ही सब काम कर रहा हूँ. देखो मैंने पूरी जिंदगी में क्या-क्या किया! कितनी प्रॉपर्टी बनाई! बैंक-बैलेंस! सब मेरी ही मेहनत का नतीजा है! यह नहीं समझते कि वास्तव में ईश्वर ही अपनी संकल्प शक्ति से प्रकृति के द्वारा (सात्विक, राजस और तमस तीनों गुणों द्वारा) सब काम सम्पन्न कराते हैं.

निष्कर्ष- इस प्रकार घमंड या अहंकार का त्याग कैसे किया जाए?

How to dissolve ego

     क्या ईश्वर के शरण में चले जायें? ईश्वर की शरण में जाना अच्छी बात है परन्तु इससे बात नहीं बनेगी. बहुत से भक्त अहंकारी भी हुए है, रावण जैसा महान शिव भक्त भी अहंकार के वश में होकर सभी को सताता था. ▪︎क्या दंभ, अभिमान, क्रोध, हिंसा(उपरोक्त में वर्णित) को त्यागने से अहंकार का विनाश होगा? नहीं, इनको त्यागने से अहंकार में कमी तो हो सकती है परन्तु पूर्ण रूप से यह खत्म नहीं होगी. परन्तु इन्हें त्यागने की अभ्यास करते रहनी चाहिए.

Then what is the solution? | तो फिर उपाय क्या हैं?

  • सभी प्रकार की कठोरता को त्याग कर मन में 'विनम्रता' लाने (bring humility to mind) से अहंकार समाप्त होगी. हमारे वेद और पुराण इसके उदाहरण से भरे पड़े हैं.

  • बजरंगबली हनुमानजी! पूरी रामायण में इनसे बड़ा शक्तिशाली कोई नहीं है परन्तु 'विनय' और 'विनम्रता' उनका सबसे बड़ा गुण है यह उन्होंने कई जगह दिखाया हैं.

  • इसी तरह 'विभीषण' ने अपने 'विनम्रता' पूर्ण आचरण से श्री राम जी का मन मोह लिया.

  • 'भरत' जी भी 'विनय' पूर्वक राजगद्दी का त्याग कर अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत कर राम के समान ही आदर के पात्र बनें.

  • महाभारत में विदुर जी भी 'विनम्रता' की प्रतिमूर्ति थे. यह बात श्री कृष्ण जी के उनके घर जाकर भोजन करने से सिद्ध होता है.

  • स्वयं श्री कृष्ण जी भी महाभारत के युद्ध में अर्जुन के 'विनम्रता' के कारण ही पांडवों के पक्ष में जानें निर्णय लेते हैं.

  • आधुनिक काल में गांघी जी के 'विनम्रता' पूर्ण आंदोलन (जैसे सविनय अवज्ञा आंदोलन) के कारण अंग्रेजों का भारत छोड़ने का आधार बना. और यह 'विनय' पूर्ण आचरण ही अहिंसा का मुख्य गुण है.

     इस अहिंसा नामक हथियार का प्रयोग कर कमजोर वर्ग अपने से अधिक शक्तिशाली और अत्याचारी को परास्त करते हुए आज भी देखा जा सकता है.

जिस प्रकार से 'सत्य' को धारण करने से बहुत से अवगुण नष्ट होते चले जाते है उसी प्रकार 'विनम्र' और 'विनम्रता' भी अहंकार, क्रोध, अज्ञानता, दंभ इत्यादि दुर्गुणों को नष्ट करने में प्रमुख भूमिका निभाता है.

# आशा करता हूँ कि उपरोक्त बातों पर विचार कर और उनके अनुसार अपने आचरण में सुधार लाने से व्यक्तित्व में परिवर्तन जरूर होगा.

अंत में सभी से एक प्रश्न, क्या उपरोक्त प्रकार से अभ्यास करना कठिन काम है, इसे और सरल कैसे बनाया जा सकता है?