डिप्रेशन में बच्चें, Childrens in Depression

AROGYAM

5/15/2021

a person sitting on a ledge
a person sitting on a ledge
स्थिति भयावह हैं, Situation is in Danger!

     आज की व्यस्ततम जिंदगी को मशीनी ज़िंदगी भी कहा जाता है. सुबह नींद खुलते ही घड़ी की सुईयों पर नज़र पड़ती है और हमसब मशीनों की तरह अपने को तैयार करने में जुट जाते हैं. हमारे पास स्वयं के लिये दो मिनट सोचने की फ़ुर्सत नहीं है तो दूसरों की क्या बात की जाये. इस प्रकार की व्यस्तता से हम कहाँ जा रहे है? डिप्रेशन यानी अवसाद की ओर!

     WHO की रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक दशक में डिप्रेशन के मामलों में 18% की इजाफ़ा हुई है. इस रिपोर्ट में सबसे चौंकानेवाली बात यह है कि 25% भारतीय किशोर डिप्रेशन के शिकार है. ये किशोर हमारे आपके घर के बच्चें हो सकते है. साथ ही आपसे आग्रह करता हूँ कि निम्न बिंदुओं के अनुसार अपने बच्चे में गहन अध्ययन करें. इस लेख को इसी बात को मद्देनजर लिख रहा हूँ.

15 Signs of Depression, डिप्रेशन के 15 लक्षणों को पहचानें

     अब हमसब समझते हैं कि इसे कैसे पहचाना जायें? बहुत बारीकी से इसके लक्षणों (symptoms of depression) को समझने की कोशिश करनी चाहिये. अवसादग्रस्त चाहे स्वयं हो, परिवार के सदस्य या फिर मित्र ही क्यों ना हो, उनके व्यवहार में आनेवाले सभी परिवर्तनों पर नज़र डालते हैं; जिससे पता चलता है कि कोई डिप्रेशन यानी अवसाद का शिकार होता जा रहा है.

     डिप्रेशन से उबरने (overcoming from depression) के लिए इसके लक्षणों और संकेतों को समझना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि इस बारे में आप तभी सहायता कर सकते हैं, जब सही समय पर आपको पता चले कि उसकी ज़िंदगी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. कुछ तो गड़बड़ हैं! डिप्रेशन के कुछ प्रमुख व गंभीर लक्षणों को इस प्रकार समझें:-

  1. सबसे प्रमुख है ठीक से नींद न आना.

  2. भोजन से अरुचि और भूख कम लगना.

  3. कोई complex या अपराध बोध का होना.

  4. सदैव उदासी या ऐसे माहौल में पड़े रहना.

  5. आत्मविश्वास कम हो जाना.

  6. थकान और सुस्ती महसूस करना.

  7. शारीरिक व्यग्रता और उत्तेजना का बढ़ना.

  8. Drug या मादक पदार्थों का सेवन करना.

  9. Concentration या एकाग्रता में कमी का होना.

  10. व्यर्थ जीवन के कारण आत्महत्या का विचार मन में उपजना.

  11. किसी भी काम में मन का न लगना.

  12. किसी के द्वारा अति-अपमानित होने पर.

  13. प्रियजनों द्वारा हतोत्साहित करने पर.

  14. किसी अप्रत्याशित घटना या परिणाम पर. (जैसे कि Exam Results इत्यादि).

  15. अचानक बहुत बड़ी हानि (धन की) होने से.

26 Ways to Avoid Depression, बचने के 25 उपाय

     यदि बच्चें को डिप्रेशन से बचाना है तो इस बारे में उस बच्चें और घर के बड़ों से खुलकर बात करें और Doctor से सलाह लें. दैनिक जीवन की दिनचर्या में छोटे-मोटे परिवर्तन लाते हुए बच्चें को व्यवस्थित होने का अवसर दीजिए उन्हें समय दें कि वें अपने तन और मन को संभाल लें. तो फिर कुछ छोटी-मोटी बातों को अपनाना होगा जैसेकि :-

  1. एक अच्छी नींद 8 घंटे की होती हैं अतः यह ध्यान रखें कि समुचित मात्रा में नींद (मरीज को) लेनी चाहिए. यदि वह कम सो रहा हैं तो यह जानने की कोशिश करें कि वह ऐसा क्यों कर रहा है.

  2. यदि भोजन कम कर रहा है, भूख मर गई है या खाने की इच्छा नहीं हो रही हो और यह लंबे समय से चल रहा हो तो रूचिकर भोजन बनाकर दें.

  3. यह जानने की कोशिश करें कि वह किसी काम को पूरा करना चाहता हो और न कर पाया हो. जैसे कि कोई exam, competition या कोई project; जिसमें सफलता हासिल करना उसका सपना हो और उसे लगे कि जिंदगी अब समाप्त! आगे और जीने का कोई मकसद नहीं है.

  4. आगे बढ़े और हौसला बढ़ाने की कोशिश करें, समझाये की और भी कई राहें हैं मंज़िल पाने की. प्लान 'A' कामयाब न रहा हो तो कोई बात नहीं प्लान 'B' पर काम किया जा सकता है. सबसे पहले आपको ही अपने बच्चें की क्षमता को पहचानने की जरूरत है. कहीं ऐसा तो नहीं कि आपने उसके ऊपर हद से ज्यादा बोझ डाल दिया हो, उससे ज्यादा ही उम्मीद लगा ली हो और उसे काल्पनिक दुनियाँ में जीने की आदत हो गई हो.

  5. ऐसे बच्चें को उदासी वाले माहौल से बाहर आने में मदद करें. माहौल को खुशगवार बनायें. 'जो बीत गया उसे भूल जाओ' यह बतायें और नये 'प्लान' के लिए तैयारी करने में मदद करें और उसका आनंद मनाये.

  6. बच्चें में आत्मविश्वास की कमी न होने दें. घर-परिवार, पास-पड़ोस या दूसरे सफल लोगों की मिसाल पेश करें (उनसे compare न करें) जिन्होंने नाकामयाबी से कामयाबी हासिल की हो. उन सारी गलतियां को पहचानने की कोशिश करें जिससे यह समस्या पैदा हुई और उसे दूर करने की कोशिश करें.

  7. बच्चा हरदम सुस्ती में पड़ा रहे या थकान महसूस करें तो उसके खानपान की निगरानी रखें. घर या बाहर उसकी activity क्या है? कहीं वह गलत संगत में पड़कर नशा तो नहीं कर रहा है? यदि ऐसा नहीं है तो उसे अच्छी और प्रोटीन युक्त diet उपलब्ध करायें और सुबह उठकर योग व कसरत करने में आप भी साथ दें.

  8. अवसादग्रस्त बच्चों में व्यग्रता और शारीरिक उत्तेजना पायी जाती हैं. ये बात-बात पर क्रोधित हो जाते है, धैर्य या सब्र की कमी के कारण अज़ीब हरकत करते हैं. चिड़चिड़ापन इनकी आदत हो जाती हैं. ऐसे बच्चों से शांति से पेश आये उसके हर बात का जवाब देना जरूरी न समझे और उस पर ध्यान न दें. स्वयं को भी परिवर्तित करने की कोशिश करें.

  9. usage of Drugs या इसी तरह की दूसरी नशे की लत भी अवसाद (depression) का कारण बनते देखा गया है. नशा जब उतरता है तो अपनी स्थिति को देखकर उसे गहरी चोट पहुँचती हैं, उसे अपना जीवन व्यर्थ लगने लगता है. ऐसी हालत में बच्चा घर छोड़कर चला जाता है या आत्महत्या की सोचता है. आप तुरंत ऐसे लतों से छुड़ाने की भरसक कोशिश करें; उसे उसके संगी-साथीओं से दूर रखें. फिर Doctor के पास ले जाकर उसकी इलाज करायें.

  10. जब भी आप अपने बच्चे में एकाग्रता (concentration) की कमी देखें तो उसके activity को बारीकी से जांच करें; ऐसे परिवर्तनों का क्या कारण हैं? कहीं वह अपनी dream या career से बेज़ार तो नहीं हो गया है. उसे लगता हो की उसकी दुनियाँ उजड़ गई और जीने का कोई मकसद नहीं रहा. बचपन से ही उसके talent को पहचाने और एक या दो कैरियर पर उसे सुझाव दें. एक पर असफल होने पर दूसरे के लिए तैयार होने के लिए कहें.

  11. कई बार शैक्षिक या प्रतियोगी परीक्षाओं में असफल हो जाना, नौकरी में अधिकारियों का दबाव या नौकरी का चले जाना भी depression का कारण बनता है. ऐसे हालात में उसे ढाढस बधाएँ और इससे उबरने के उपायों पर कार्य योजना बनायें.

  12. बच्चें को हमेशा busy (व्यस्त) रखें. यदि उसकी पढ़ाई अभी खत्म न हुई हो तो आगे की कार्य योजना बनाये, खेलकूद में आप भी साथ दें, घर के काम में हाथ बटाने के लिए कहें, अपने कार्यक्षेत्र में होने वाले समस्याओं के बारे में बात करें और उनसे सलाह मांगें. इससे बच्चा अपने को घर का एक जिम्मेदार सदस्य समझने लगेगा और मानसिक रूप से मजबूत होगा. यही बात नौकरी या व्यवसाय करने वालों पर भी लागू हो सकता है.

  13. कई बार घर के लोगों द्वारा ही अपमानित किये जाने से उसके मन को गहरी चोट पहुँचती है. ऐसी ही हालात तब भी होती है जब सबसे प्यारे मित्रों से भी अपमानित किया गया हो. ऐसी परिस्थितियों में हिम्मत बढ़ायें, न कि उसे पस्त करें, उसे महसूस करवायें कि यह गलतफहमी से हो गया. क्षमा सबसे बड़ा दवा हैं, मांग लें.

  14. कई बार किसी achievement या उपलब्धि पर उचित सम्मान न मिलने पर भी अवसाद घेर लेता है. हो सकता है कि आपकी नजर में यह उपलब्धि कोई खास न हो और उसे ज्यादा महत्व न देतें हो; तब बच्चा हतोत्साहित हो जाता है और depression में चला जाता है. ऐसा न करें अपने नज़रिये को बदलने की कोशिश करियें.

  15. जब भी किसी ऐसे बात पर जिसमें नौकरी या कैरियर दाव पर लगा हो और भविष्य उस पर निर्भर हो तो उम्मीद भी बहुत लगा ली जाती है; तभी अचानक कुछ ऐसा हो जाता है कि परिणाम अप्रत्याशित रूप से विपरित हो जाती है. ऐसे में मन को चोट पहुँचती हैं और depression में जाने का कारण बनता हैं.

  16. परिवार के व्यवसाय में अप्रत्याशित धनहानि होने पर भी ऐसी समस्या आती हैं. ऐसे में माहौल को हल्का बनाने की कोशिश करें और फिर से उठकर सफलता हासिल करने की ज़ज्बा रखें.

  17. ऐसी कोशिश करें की बच्चा सभी से बात करें और मदद मांगें. अवसादग्रस्त बच्चों को इससे उबरने के लिए लगातार ऐसे व्यक्ति से बात करना ज़रूरी है जिनपर वे भरोसा करते हों. अपने प्रियजनों के संपर्क में रहना बहुत ही अच्छा साबित हो सकता है. बच्चा खुलकर अपनी समस्याएं शेयर करें और हर परिस्थितियों से लड़ने के लिए परिवार से मदद मांगें. इसमें झिझके नहीं. हमारे सबसे प्रियजन यदि हमें बुरे समय में इससे बाहर निकलने में मदद नहीं करेंगे तो कौन मदद करेगा?

  18. मन को ख़ुश रखने के लिए, सेहतमंद और संतुलित खानपान दें. Scientific research यह प्रमाणित करते हैं कि कसरत अवसाद को दूर करने में मदद करता है और यह सबसे अच्छा तरीक़ा भी हैं. जब कोई कसरत करता हैं तब 'सेरोटोनिन' और 'टेस्टोस्टेरोन' जैसे हार्मोन्स रिलीज़ होते हैं, जो मस्तिष्क को स्थिर करने में सहायता करता हैं; फलस्वरुप डिप्रेशन को बढ़ाने वाले विचार आने कम होते हैं. कसरत से सेहतमंद बना जाता है और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

  19. यदि आपका बच्चा introvert या अंतर्मुखी है और अपनी मनोभावों को किसी से व्यक्त नहीं करता है तो उसे पेन और पेपर लेकर कुछ नया लिखने के लिए कहें. लिखने से अच्छा तनाव कम करने का साधन शायद ही कुछ और हो. लिखने से आत्मनिरीक्षण और विश्लेषण करने में मदद मिलती है. डायरी लेखन से लोग प्रभावशाली तरीकों से डिप्रेशन से बाहर आते देखें गये हैं.

  20. अच्छे मित्र मूड को अच्छा बनाए रखने में सहायक होते हैं उनसे आवश्यक सहानुभूति भी मिलती है. वें बातों को ध्यान से सुनते हैं और हँसी-मज़ाक कर मन और माहौल को हल्का कर देते हैं. डिप्रेशन के दौर में यदि कोई मनोभावों को समझे या धैर्य से सुन भी ले तो पीड़ित को अच्छा लगता है. अच्छे दोस्त हमेशा खुशियों के उत्प्रेरक होते हैं इसलिए उनसे जुड़ें रहने में मदद करें. ऐसे लोगों से दूर रहें जो नकारात्मकता से भरे होते हैं. ये हमेशा सबका मनोबल गिराने का काम करते हैं.

  21. इन दिनों offices या कार्यस्थलों पर कर्मचारियों को ख़ुश रखने की बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, employer नियुक्ति के समय दावा करते हैं कि हमारे यहाँ काम करने का माहौल बहुत ही अच्छा हैं पर कई जगहों पर सच्चाई अलग होती है. यदि आपका बच्चा भी कार्यस्थल पर तनाव महसूस करता हैं तो उसे अपनी नौकरी की समीक्षा करने की सलाह दें; हो सकता है कि नौकरी ही उसकी चिंता की वजह हो, जो आगे चलकर अवसाद का कारण बन जाए. ऐसी नौकरी छोड़ दें तो अच्छा है ताकि वह सुकून से जी सकें. वह नौकरी ही क्या जो संतुष्टि और ख़ुशी न दे सकें? पीड़ित को अपनी पसंद के क्षेत्र में नौकरी के विकल्प की तलाश करने के लिए कह सकते हैं.

  22. एक ही माहौल और दिनचर्या भी कई बार बोरियत पैदा करनेवाले होते हैं, जो आगे चलकर नकारात्मक विचार और फिर डिप्रेशन पैदा करते हैं. माहौल बदलते रहने से नकारात्मक विचारों को दूर रखने में मदद मिलती है. जब भी छुट्टी मिलें कहीं घूमने-फिरने के लिए निकल जायें. मनोरंजन के लिए कुछ नये उपायों पर विचार करें. बच्चों को छोटी उम्र से ही अपने शहर और उसके आस-पास के क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के जगहों पर ले जाना चाहिए चाहे वह तीर्थ स्थल हो या कोई ऐतिहासिक जगह.

  23. कई वैज्ञानिक शोधों द्वारा यह प्रमाणित हो चुका है कि जब लोग अवसादग्रस्त होते हैं तो संगीत सुनकर उन्हें अच्छा लगता है, शांति मिलती हैं. इसलिये जब भी मानसिक रूप से परेशान हों तो अपना पसंदीदा गाना सुनें. संगीत में मूड बदलने और मन को अवसाद से निकालने की अद्‍भुत शक्ति होती है. हमेशा खुशगवार संगीत या गानें ही सुनें, ज़्यादा ग़म में डूबे हुए गाने सुनने से हो सकता है कि डिप्रेशन के अगले स्तर पर पहुंच जायें. इसलिये ध्यान दें कि बच्चा आजकल ज़्यादातर ग़मगीन या उदासी वाले गानें तो नहीं सुन रहा हैं.

  24. बच्चें की पुरानी भूलों और ग़लतियों की किसी से शिकायत करना उसे पूरी तरह से अवसाद के चंगुल में फंसा सकता है. पुरानी बातें किसी के नियंत्रण में नहीं होतीं तो फिर उस बारे में सोच-सोचकर क्या फ़ायदा? बेवजह दिलोदिमाग़ पर अपराधबोध क्यों बढ़ाया जाएं. पुरानी बातों के बारे में सोचने के बजाय वर्तमान पर फ़ोकस करें और अच्छे भविष्य की कल्पना करें.

  25. जब कोई अवसादग्रस्त होता हैं तब स्वयं को समाज से दूर कर लेना सबसे आसान और ज़रूरी समाधान समझने लगता है क्यों कि उसे लगता है कि उसकी समस्या को कोई दूसरा नहीं समझ सकता. लेकिन स्वयं को लोगों से काटकर अवसाद को फलने-फूलने में मदद करने का मौका उपलब्ध कराता हैं. यदि अपने दोस्तों और क़रीबियों से अपनी समस्याओं को साझा नहीं कर सकते तो किसी मनोचिकित्सक से सलाह जरूर लें, इससे depression की वज़ह जानने और उसे दूर करने में मदद मिलेगी.

  26. छोटी सी उम्र से ही उसे अच्छी किताबें पढ़ने की आदत डालें. उदाहरण के लिए रामायण या गीता. राम और कृष्ण के चरित्र पर या उसमें वर्णित किसी घटना पर उसकी राय जानें. किसी दैनिक समाचार पत्रों को पढ़ने के लिए कहें या कहें कि मुझे सभी समाचार एक-एक करके पढ़ कर सुनाओं फिर उस पर विचारों की आदान-प्रदान करने की कोशिश करें.

     याद रखें आप अपने बच्चें के लिए सबसे अच्छा मित्र, सलाहकार और Doctor हो. उसकी हर हरकतों की जानकारी आपको होनी चाहिए. बचपन से ही उसमें अच्छे गुणों के विकास में आप खुद उदाहरण बनकर दें. हालाकि यह लेख बच्चों को उदाहरण बनाकर लिखा गया है परंतु यह किसी भी उम्र के लिए भी हो सकता है.

आपके लिए एक प्रश्न:- क्या यह आवश्यक नहीं है कि आप इस संबंध में कुछ जागरूक बने और ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी और आप इससे पार पाने के लिए 'क्या' करेंगे?