प्रभु हम तेरे साधक है
SPIRITUALITY
यह सत्य है कि ईश्वर को पाने का मार्ग साधारण नहीं होता है। उन्हें पाने की अभिलाषा लिये हजारों बार जन्म लेना पड़ता है। यह सतत कर्म, तपस्या, बलिदान और धैर्य की माँग करता है।
जीवन के हर संघर्ष को स्वीकार कर, अपनी निष्ठा, प्रेम और लगन को बनाए रखना पड़ता है। अनेकों प्रकार की पीड़ाओं को सहन करना पड़ता है। अंग-अंग कटवाना पड़े या गर्म तवे पर बैठना पड़े, बलिदान की जितनी भी विधियाँ उनकी डायरी में लिखी हैं उन सबको हँसते हुए करके ही ईश्वर को पाया जाता है।
ईश्वर का मार्ग केवल तप और बलिदान का ही नहीं, बल्कि आत्मसंयम और समर्पण का भी होता है। इसमें न केवल बाहरी कठिनाइयों को सहन करना पड़ता है, बल्कि अपने भीतर के विकारों और कमजोरियों से भी लड़ाई करनी पड़ती है।
मन के अंधकार को ज्ञान के प्रकाश से भरने का यह प्रयत्न ही साधक को सच्चे अर्थों में साधक बनाता है। जब तक हम अपने अहंकार, स्वार्थ, और लालच को त्यागकर सच्चे हृदय से ईश्वर की ओर नहीं बढ़ते, तब तक उनको पाना असम्भव है।
आपको यह लेख कैसा लगा यह मुझे जरूर बताये। यह कोई कल्पना की कोख से पैदा नहीं हुई है। यह मेरे व्यक्तिगत अनुभव है।